संवाद सूत्र
मधेपुरा:- विगत दिनों विभिन्न स्तरों से बीएनएमयू डीएसडब्लू प्रो डॉक्टर राजकुमार सिंह द्वारा बीएनएमयू प्रशासन से आगामी दीक्षांत समारोह में अपनी पुस्तक महामहिम कुलाधिपति सह राज्यपाल से कराने को तरजीह नहीं देने का मामला लगातार गंभीर होता जा रहा है।इस संबंध में वाम छात्र संगठन एआईएसएफ के राष्ट्रीय परिषद सदस्य हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने दुर्भाग्य बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई है।कुलपति को लिखे पत्र में छात्र नेता राठौर ने कहा कि यह दुखद है कि जिनपर विश्वविद्यालय को गौरवान्वित होना चाहिए था कि तीस साल के विश्वविद्यालय में एक ऐसा भी शिक्षक पदाधिकारी है जिसकी 25 वीं पुस्तक विमोचन होने जा रही है इसके लिए जहां विश्वविद्यालय को आगे बढ़कर पहल करनी चाहिए वहीं उल्टे डीएसडब्लू प्रो राजकुमार सिंह के आग्रह के बाद भी नजरंदाज किया जा रहा है।राठौर ने कहा कि इससे पता चलता है कि विश्वविद्यालय के उस नियत में खोंट है जिसमें यह शैक्षणिक माहौल बनाने और प्रतिभावान छात्रों व शिक्षकों को प्रोत्साहित करने की प्रतिबद्धता जाहिर करता है।राठौर ने संगठन के ओर से कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि अच्छे प्रकाशन से किसी शिक्षक के आलेख अथवा पुस्तक प्रकाशित होने पर विश्वविद्यालय को नैक से मान्यता में मदद मिलती है।जब राजभवन ने भी साफ कर दिया है कि यह अनुमति विश्वविद्यालय स्तर से ही मिल सकती है फिर इसमें अड़चन का प्रश्न ही नहीं उठना चाहिए।राठौर ने कहा कि प्रो राजकुमार सिंह बीएनएमयू के उन दुर्लभ विद्वान शिक्षकों में आते हैं जिनकी दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हैं और विभिन्न देशों के दैनिक पत्र उनके आलेखों का लाभ ही नहीं लेते हैं बल्कि विश्वविद्यालय के सर्वाधिक बेदाग हस्ताक्षर के रूप में जाने जाते हैं।राठौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर बीएनएमयू प्रशासन अपनी इस सोच में बदलाव नहीं लाता है तो यह समझा जाना चाहिए कि बीएनएमयू में अपने विद्वान शिक्षकों की कद्र नहीं साथ ही इससे यह भी गलत संदेश बाहर जायेगा कि जब विद्वान शिक्षक पदाधिकारी के साथ जब ऐसी उदासीनता है तब आम शिक्षक और छात्रों को कैसे नजरंदाज किया जाता होगा।
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