पीटीसी मधेपुरा में डीएलएड कोर्स में फर्जी नामांकन से शिक्षा विभाग में मचा हड़कंप, 40 छात्रों का प्रमाण पत्र संदिग्ध


मधेपुरा।

 मधेपुरा के सुखासन स्थित प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय (पीटीसी) में बड़े पैमाने पर फर्जी छात्र नामांकन का मामला प्रकाश में आया है। हैरानी की बात है कि जांच के बाद मामला प्रकाश में आने के बाद भी संदिग्ध छात्रों का अंतिम परीक्षा लिया गया है। पूरे मामले में कॉलेज प्रशासन सीधे ऐसे छात्रों को फर्जी कहने से बच रहा है। मालूम हो कि पीटीसी में डीएलएड के सत्र 2021-23 में 200 सीटों पर नामांकन कार्य हुआ। नामांकन के बाद प्राचार्य ने सभी छात्रों के प्रमाणपत्र को जांच के लिए बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भेज दिया है। उसके बाद बिहार बोर्ड ने इसमें 40 छात्रों के प्रमाण पत्र को फर्जी पाते हुए लिस्ट कॉलेज को भेज दिया। पहले तो पूरे मामले में कॉलेज ने सख्ती दिखाया। लेकिन छात्रों की धमकी व देख लेने के बाद प्राचार्य सकते में आ गए और कार्रवाई के बजाए कॉलेज ने पिछले माह सभी फर्जी छात्र-छात्राओं का अंतिम परीक्षा भी ले लिया। मामला को बढ़ते देख प्राचार्य ने नामांकन कमेटी को इस बाबत शिकायत किया। लेकिन जानकार बताते हैं कि डीईअो पूरे मामले में सख्ती दिखाने के बजाए नरमी बरत रहे हैं। अब यह फर्जी नामांकन प्राचार्य के गले का हड्‌डी बन गया है। जानकारी के अनुसार प्रथम सत्र में ही 40 छात्र-छात्राओं के प्रमाण पत्र के संदिग्ध होने की जानकारी कॉलेज को मिल गई थी। लेकिन कॉलेज प्रबंधन इस मामले में ठोस निर्णय नहीं ले पाया। जानकार बताते हैं कि डीईओ के पास जब यह मामला आया तो उन्होंने पल्ला झाड़ना शुरू कर दिया। लेकिन मामला को बढ़ता देख प्राचार्य ने नामांकन समिति के पास बात रखी। जानकार बताते हैँ कि पूरे मामले में ऐसे संदिग्ध छात्रों ने अंक प्रमाण पत्र में हेराफेरी किया है। कई छात्रों ने कॉलेज रिकार्ड में अंक 70 दिया तो किसी ने 75 या 95 दिया। लेकिन बोर्ड में जांच के बाद पता चला कि अंक में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुआ है। जानकार यह भी बताते हैँ कि जिस समय नामांकन लिया गया, उस समय प्राचार्य का प्रभार डीपीओ रासिद नवाज के पास था। उन्हीं के कार्यकाल में नामांकन कार्य हुआ था। लेकिन वर्तमान प्राचार्य को मामले की जानकारी मिलने के बाद भी दूसरे सत्र में चार माह के लिए स्कूलों में प्रशिक्षण यानि एसीपी के लिए सभी को भेज दिया। जिसमें सभी 40 फर्जी छात्र भी शामिल है। वहीं जब प्राचार्य को लगा कि यह मामला कहीं भविष्य में गंभीर न हो जाए तो प्राचार्य ने दूसरे सत्र के लिए 40 को छोड़ अन्य का पहले परीक्षा फार्म भरवा लिया। लेकिन पूरे मामले में प्राचार्य के अकेले पड़ने पर अंतिम में सभी फर्जी छात्रों से लिखवाया कि प्रमाण पत्र की जांच की प्रक्रियाधीन है। आगे अगर किसी तरह की कार्रवाई होती है तो उसके लिए जिम्मेदार स्वयं होगा। इस तरह सभी 40 फर्जी छात्रों को भी दूसरे वर्ष के अंतिम परीक्षा में शामिल कर लिया गया। मामले में अपनी सफाई देते हुए प्राचार्य संजीव कुमार झा ने कहा कि अभी फर्जी नहीं कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि विगत दिनों नामांकन कमेटी की बैठक हुई थी। जिसमें निर्णय हुआ है कि सभी 200 छात्रों का फिर से सभी प्रमाण पत्र की जांच के लिए बोर्ड को भेजा जाएगा। उसके बाद ही सही और गलत का पता चल सकेगा। वहीं डीईओ जयशंकर प्रसाद ठाकुर ने बताया कि कॉलेज ने पहले ऑनलाइन जांच कराया था। लेकिन नामांकन कमेटी में निर्णय हुआ कि सभी कागजातों की विधिवत जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि प्रमाणपत्र असली है या नकली





 

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