ग्राम पंचायत के विभिन्न मांगों को लेकर 16 अगस्त से 31 अगस्त तक मुखिया करेंगे हड़ताल।

 



सिंहेश्वर मधेपुरा 


ग्राम पंचायतों के विभिन्न माँगों और समस्याओं के समाधान को लेकर 16 अगस्त से 31 अगस्त तक बिहार के सभी मुखिया द्वारा आंदोलन के प्रथम चरण में राज्य व्यापी हड़ताल करते हुए कार्यों का बहिष्कार करेंगे। इसकी सूचना संघ ने माननीय ग्रामीण विकास मंत्री बिहार सरकार, माननीय पंचायती राज मंत्री बिहार सरकार, मुख्य सचिव, बिहार, अपर मुख्य सचिव, पंचायती राज विभाग, बिहार सचिव ग्रामीण विकास विभाग, बिहार और आयुक्त मनरेगा, बिहार को पत्र भेजकर सूचित किया है। इस बाबत सिंहेश्वर मुखिया संघ अध्यक्ष किशोर कुमार पप्पू ने बताया की बिहार प्रदेश मुखिया संघ लगातार राज्य सरकार और केंद्र सरकार से अपनी कतिपय मांगों को लेकर आन्दोलन कर रहे है। जिसे सरकार अनदेखा कर रही है। उन्होंने बताया हमारी राज्य सरकार से 18 और केंद्र सरकार से 5 मुख्य माँगे है। जिसमें राज्य सरकार से मुख्य मांग है।

1. पंचायती राज विभाग लगातार ग्राम पंचायतों को संविधान से प्रदत्त अधिकारों का हनन कर रही हैं। सभी 29 प्रदत अधिकारों की रक्षा हेतु सरकार एक कमिटी बनाए और सभी विभागों के प्रधानों को स्पष्ट निदेश जारी करे ताकि पंचायती राज अधिनियम के तहत ग्राम पंचायतों को पूर्ण अधिकार प्राप्त हो सके।

2. ग्राम सभा की रक्षा हेतु ग्रामसभा से पारित निर्णयों का अनुपालन सुनिश्चित कराए।

3. ग्राम पंचायतों की ग्राम सभा से योजनाओं के चयन को उच्च प्राथमिकता दी जाय। ग्राम सभा में अनावश्यक हस्तक्षेप करने हेतु संबंधित विभाग पत्राचार निदेश देना बंद करे। सरकार अपनी सुझाव नियमानुसार ग्राम सभा पर छोड़ दे।

4. मुख्यमंत्री सोलर स्ट्रीट लाईट योजना के क्रियान्वयन में ब्रेडा असफल हो चुकी हैं। इसे गति प्रदान करने हेतु इसका क्रियान्वयन का जिम्मा ग्राम पंचायतों को सौंपा जाय।

5. पंचायत सरकार भवन निर्माण निर्माण का जिम्मा मुख्यमंत्री द्वारा एलईएओ के असफल होने के बाद 2018 में ग्राम पंचायत को सौंपा था। पूर्व में 2013 से 2018 तक एलएईओ द्वारा राज्य में लगभग 78 योजनाएं पर प्लिंथ का कार्य कर छोड़ दिया गया। तथा सैकड़ों योजनाओं को अपूर्ण हालत में ग्राम पंचायत को संचालन हेतु सौंप दिया गया। आजतक एलएईओ की कार्य पूर्णता मात्र 60 प्रतिशत है जबकि ग्राम पंचायतों को जिम्मे दिए जाने के बाद 96 प्रतिशत कार्य पूर्ण पाए गये हैं। आज भी प्राप्त राशि से ज्यादा कार्य किए गये है। पंचायती राज विभाग द्वारा गलत तथ्य पेश कर पुनः असफल एजेंसी को कार्य दिया गया। जो कहीं से उचित प्रतीत नहीं होता। सरकार जनहित में निर्णय को वापस लेकर इसे पुनः ग्राम पंचायत को सौंपे दे। 

6. मुख्यमंत्री नल जल योजना के निर्माण कार्य का पूर्णता प्रतिशत 97 है। ग्राम पंचायतें 15 से 20 लाख की लागत में प्रति वार्ड कार्य संपन्न करा चुकी है। प्राक्कलन में मेंटेनेंस कॉस्ट शामिल नहीं था आज भी सरकार ग्राम पंचायतों को प्रति वार्ड 2 लाख लगभग राशि उपलब्ध कराए तो नल जल जहां खराब है चालू हालत में भी हो जाएंगे। पीएचईडी को सौंपा गया नल जल कार्य राशि मेंटेनेंस के साथ 35 से 40 लाख है। फिर भी कार्य पूर्णता 60 प्रतिशत है। फिर दुबारा असफल एजेंसी पीएचईडी को क्यों मरम्मती का कार्य दिया गया ? निर्णय के अभाव में नल जल का मरम्मती कार्य बाधित हैं। और अधिकांश जगहों पर पेयजल खराब हो रहे है। इस संकट को दुर करने हेतू कार्य को ग्राम पंचायत को पुनः सौंपा जाय और सरकार इसके लिए राशि आवंटित करे।

7. ग्राम पंचायतों में बंद पड़े कबीर अंत्येष्टि योजना सभी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना इत्यादि पर गति प्रदान की जाय।

8. पंचायत प्रतिनिधियों की सुरक्षा हेतु आवश्यकतानुसार हथियार का लाइसेंस अविलंब मुहैया कराई जाय।

9. अपराधियों द्वारा हत्या कर दिए गये मुखियों के परिजनों को सरकार 50 लाख तक मुआवजा दे और स्पीडी ट्रायल के माध्यम से दोषियों को अविलंब सजा दिलवायें।

10. ग्राम पंचायत में कार्यरत कर्मियों के वेतन विवरणी उपस्थिति पंजी मुखिया के हस्ताक्षर के बाद ही भुगतान किया। जाय इसका सख्ती से अनुपालन कराया जाय।

11. जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र जनहित में बनाने का अधिकार पुनः ग्राम पंचायत को सौंपा जाय।

12. ग्राम पंचायतों को राजस्व कर वसूली का हिस्सा सभी मद से उपलब्ध कराई जाय।

13. ग्राम पंचायतों में ग्राम रक्षा दल के गठन वित्त पोषण के साथ किया जाय।

14. मनरेगा में ग्राम पंचायत को प्रशासनिक का अधिकार पंचायती राज विभाग की तरह 20 लाख तक किया जाय।

15. मनरेगा में भुगतान हेतु ग्राम पंचायतों को दिए गये अधिकार के अनुसार प्रखण्ड कार्यक्रम पदाधिकारियों से डोंगल भुगतान वापस लेकर ग्राम पंचायतों को दिया जाए।

16. मनरेगा में एनएमएमएस का प्रयोग राज्य के मजदूरों के हित में नहीं है। आज भी ग्राम पंचायतों में मोबाईल नेटवर्क की समस्या है। जिसके कारण मजदूरों का उपस्थिति समय से नहीं बन पाता है। जिसके कारण मजदूर अपने मजदूरी से वंचित हो जा रहे हैं।

17. राज्य सरकार भारत सरकार को पत्र लिखकर इसे बंद कराए। मनरेगा में बाजार दर के अनुसार एसओआर निर्धारित किया जाय।

18. मनरेगा में ग्राम पंचायत को प्रदत्त अधिकारों के अनुसार शत प्रतिशत कार्यों की अनुमति दी जाय। इस संबंध में स्पष्ट निदेश दिया जाय।

वही मुखिया संघ ने केंद्र सरकार के सामने भी अपनी 5 सुत्री मांग रखी है। जिसमें 

1. मनरेगा में एनएमएमएस का प्रयोग राज्य हित में नेटवर्क की समस्या को देखते हुए इसे बन्द किया जाय। मनरेगा में एनएमएमएस का प्रयोग राज्य के मजदूरों के हित में नहीं है। आज भी ग्राम पंचायतों में मोबाईल नेटवर्क की समस्या है। जिसके कारण मजदूरों का उपस्थिति समय से नहीं बन पाता है। जिसके कारण मजदूर अपने मजदूरी से वंचित हो जा रहे है। 

2. मनरेगा में समय पर भारत सरकार ग्राम पंचायतों को राशि आवंटित करे।

3. मनरेगा में कृषि क्षेत्र को भी भारत सरकार जोड़ने का कार्य करें। 15वीं वित्त आयोग की राशि भारत सरकार ग्राम पंचायतों को अविलंब मुहैया कराए।

4. केन्द्र सरकार 73 वाँ संविधान संशोधन के अनुसार ग्राम पंचायतों को केन्द्रीय कर का भी हिस्सेदारी समानुपातिक रूप से केन्द्र सरकार राज्य सरकार ग्राम सरकारों के बीच वितरित करें।

5. उपरोक्त विषयों और बिन्दुओं के आलोक में बिहार प्रदेश मुखिया संघ ग्राम पंचायतों के हित में आन्दोलनरत है। मुखिया संघ के मांगों पर केन्द्र और राज्य सरकार अविलंब विचार करें। उन्होंने कहा कि जनहित में हमारी मांगों को अविलंब पुरा किया जाय नहीं तो राज्य के ग्राम पंचायतों के मुखिया आन्दोलन को और तीव्र करेंगे। मौके पर मुखिया जय कृष्ण शर्मा, चांदनी खातून, विजय कुमार सिंह, पप्पू यादव, सहित कई मुखिया उपस्थित थे।

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